Sunday, December 02, 2012

कशमकश से भरी जिंदगी

कशमकश से भरी जिंदगी
कुछ खोटी, कुछ खरी जिंदगी

कुछ लम्हों से टपकती
कुछ लम्हों की जिंदगी
कुछ लम्हों को समेटती
कुछ लम्हों सी जिंदगी

कुछ लम्हों का पागलपन
कुछ लम्हों का खालीपन
कुछ लम्हों में बदलती
कुछ लम्हों की जिंदगी

कुछ लम्हों का साथ
कुछ लम्हों की बात
कुछ लम्हों में बनती
कुछ लम्हों की जिंदगी 

कभी रगों के लहू से टपकी

कभी रगों के लहू से टपकी, तो कभी बदन के पसीने से। कभी थरथराते होटों से, तो कभी धधकते सीने से।  टपकी है हर बार, आजादी, यहाँ घुट-घुट के जीने स...