Saturday, January 22, 2011

जिंदगी के कुछ पल, बीत गये इस इंतज़ार में

जिंदगी के कुछ पल
बीत गये इस इंतज़ार में
कि कब तुम आओगे,
कि कब तुम आओगे |


कभी सोचा ना था कि
रहूंगी इतना बेक़रार मैं
कि कब तुम आओगे,
कि कब तुम आओगे |

दिल लगता नहीं अपना
अब इस संसार में
कि कब तुम आओगे,
कि कब तुम आओगे |

गहरी नदी हैं सामने,
मैं खड़ा इस पार में
कि कब तुम आओगे,
कि कब तुम आओगे |



तेरी बाते, जो याद आई

तेरी बाते
जो याद आई
तेरी बाते
कुछ अनकाही
तेरी  बाते
भूली हुई बाते
मैंने कभी कही
तेरी बाते
ये बाते
कैसी बाते
तेरी बाते
गूंजी बाते
तेरी बाते

मैं जिस सवेरा को खोजता

मैं जिस सवेरा को खोजता

रहा हर अँधेरे में कहाँ-कहाँ

मालूम ना था कि वो

मिलेगा तुमसे मिलके यहाँ |

वो उड़ते लहराते हुए आसमां

के नीचे इठलाता हुआ बादल,

उसी मस्ती में झूमकर उठता

हुआ एक मस्तमौला नया कल,

के आँगन में मासूम से एक किनारे,

ठिठोली करता हुआ मासूम सा पल |

Saturday, January 01, 2011

हर दिन नया, हर पल नया

हर दिन नया, हर पल नया 

हर सुबह, शाम और कल नया 


हर सोच नया, हर खोज नया 


हर कदम, हर रोज़ नया 

कभी रगों के लहू से टपकी

कभी रगों के लहू से टपकी, तो कभी बदन के पसीने से। कभी थरथराते होटों से, तो कभी धधकते सीने से।  टपकी है हर बार, आजादी, यहाँ घुट-घुट के जीने स...