हर दिन नया, हर पल नया
हर सुबह, शाम और कल नया
हर सोच नया, हर खोज नया
हर कदम, हर रोज़ नया
हर सुबह, शाम और कल नया
हर सोच नया, हर खोज नया
हर कदम, हर रोज़ नया
कभी रगों के लहू से टपकी, तो कभी बदन के पसीने से। कभी थरथराते होटों से, तो कभी धधकते सीने से। टपकी है हर बार, आजादी, यहाँ घुट-घुट के जीने स...
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