कुछ इस तरह गुज़री है जिंदगी मेरे आगे,
जैसे पालक झपक कर निकल गई मेरे आगे।
परत-दर-परत खुलता गया राज़ कहानी का,
शायद, आख़री किरदार हो एक आईना मेरे आगे।
जैसे पालक झपक कर निकल गई मेरे आगे।
परत-दर-परत खुलता गया राज़ कहानी का,
शायद, आख़री किरदार हो एक आईना मेरे आगे।
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