Wednesday, July 12, 2006

आज दस सालों बाद भी ये ख्याल आता हैं

आज दस सालों बाद भी ये ख्याल आता हैं,
कि आज भी उनका ख्याल आता हैं,

यूँ तो जुबां पे उनका नाम नहीं हैं
पर रह-रह के ये सवाल आता हैं
कि आख़िर क्यूँ उनका ख्याल आता हैं.

मुड़ गए वो तो एक मोड़ पे, जाने क्यूँ
ये याद हर साल आता हैं
कि आज भी उनका ख्याल आता हैं.

कहते नहीं हम कुछ भी महफिल में
क्यूँकि जुबान पे सिर्फ़ दिल का हाल आता हैं
कि आज भी उनका ख्याल आता हैं.



4 comments:

maverick said...

Wow...looks like the poet in you has awaken after a long time ;-) Very nice poem...and i like its flow also....

Ritesh Anand said...

Aapke is khyaal se zehen mein ek sawaal aata hai
Ke kaun hai wo khusnaseeb jiska aapko ab bhi khyaal aata hai
Taarif hai Faaqir us shaks ki
Jisko itna guzra-purana khyaal aata hai

SD said...

आपका दर्दे दिल पढ़ कर बहुत अच्छा लगा, लगा की कोई मेरी तरह भी इस दुनिया में है। जिसमें इस दुनिया को दिखाने का हौसला तो है। आप अपना सफर तय करते रहिए, मैं आपके साथ हूँ। मेरे ब्लाग पर भी कभी आयें (लेकिन मैं अभी हिम्मत जुटा नहीं पाया हूँ अपने दर्द को दिखाने का) http://www.rapidsharefzd.blogspot.com पर स्वागत हैं।

Rajkumar Pankaj said...

wo jis mod pe chod gaye sath,
usake agale mod pe ek naya humsafar aata hai,
chodiye unake khayal ko,
naye sapane dekhiye
kyonki har raat ke andhere ke baad hi subah ka ujala aata hai...

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