रात का आलिंगन कर
जब आई एक नई सुबह |
हर ओर उजाला फैलाती ,
लेकर किरण आई एक नई सुबह |
अचानक ही चहकने लगा जीवन
सुर में गाती आई एक नई सुबह |
डर और विस्मय को दे विराम
रगों में ऊर्जा भरने आई एक नई सुबह |
रुके हुए थे जो कदम, नई राह
को लेकर आई एक नई सुबह |
बढता जा रे पथिक, अविरत
तुझे लेने आई एक नई सुबह |
जब आई एक नई सुबह |
हर ओर उजाला फैलाती ,
लेकर किरण आई एक नई सुबह |
अचानक ही चहकने लगा जीवन
सुर में गाती आई एक नई सुबह |
डर और विस्मय को दे विराम
रगों में ऊर्जा भरने आई एक नई सुबह |
रुके हुए थे जो कदम, नई राह
को लेकर आई एक नई सुबह |
बढता जा रे पथिक, अविरत
तुझे लेने आई एक नई सुबह |
1 comment:
Yeh kavita padh kar mujhe school ke hindi book me padhi hui koi kavita yaad aa gai..not bcoz of wordings but Feelings...good one !
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