हे जवानी जागो !!!
रण में रण-घोष हुआ है
आज रगों में जोश हुआ है
है पुकार रहा वतन तुमको
हे जवानी जागो !!!
बहुत हो चुका अब नहीं
खून है अपना, पानी नहीं
रीसने दे कैसे इस तन को
हे जवानी जागो !!!
गर दम नहीं है तन में
ठंडा पड़ा जोश मन में
हम है यहाँ, छोड़ो तुम गद्दी को
हे जवानी जागो !!!
भ्रष्ट हुआ है सोच तुम्हारा
नहीं भ्रष्ट है ज़मीर हमारा
तील-तील नहीं मरने देंगे जन को
हे जवानी जागो !!!
रण में रण-घोष हुआ है
आज रगों में जोश हुआ है
है पुकार रहा वतन तुमको
हे जवानी जागो !!!
बहुत हो चुका अब नहीं
खून है अपना, पानी नहीं
रीसने दे कैसे इस तन को
हे जवानी जागो !!!
गर दम नहीं है तन में
ठंडा पड़ा जोश मन में
हम है यहाँ, छोड़ो तुम गद्दी को
हे जवानी जागो !!!
भ्रष्ट हुआ है सोच तुम्हारा
नहीं भ्रष्ट है ज़मीर हमारा
तील-तील नहीं मरने देंगे जन को
हे जवानी जागो !!!
1 comment:
i like both the hindi poems...
one by hariwansh rai bachhan...
and the other hei jawano jago.
who wrote this???
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