गुजरती हुई बहार की एक भोर
आए हो तुम बन बादल घन-घोर.
छा गए मेरे दिल के आसमान पर
मेरे प्रिये, मेरे प्रीतम, मेरे चित-चोर.
स्थिर पड़े भावों में ये कैसा हैं ज़ोर
हलचल मचा किनारे की ओर.
शांत हैं सब उस पार, मगर
इस पार, ये कैसा सन्नाटे का शोर.
आए हो तुम बन बादल घन-घोर.
छा गए मेरे दिल के आसमान पर
मेरे प्रिये, मेरे प्रीतम, मेरे चित-चोर.
स्थिर पड़े भावों में ये कैसा हैं ज़ोर
हलचल मचा किनारे की ओर.
शांत हैं सब उस पार, मगर
इस पार, ये कैसा सन्नाटे का शोर.
1 comment:
Yeh kaisa sannate ka shor..good one :-)
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