रिस्तो का दामन पकड़
जब मैं चला, मैं चला
मुझे लगा सब हैं
यहाँ, सब हैं यहाँ.
एक एक कर जब टूटे रिस्ते
तब लगा मैं कहाँ, मैं कहाँ.
कहने को सब अपने हैं
पर अपने हैं कहाँ, हैं कहाँ.
ढूंढा बहुत मैं यहाँ,
मैं वहां, जाने कहाँ, जाने कहाँ.
सब मिले फिर, जो ना मिला
वो रिस्ता कहाँ, वो रिस्ता कहाँ
जब मैं देखा, वो कहाँ
और मैं कहाँ, मैं कहाँ.
वो रहे जमीं और
मैं आसमान, मैं आसमान.
अब मेरे संग मेरे खुदा
जो छुटा, ये जहाँ, वो जहाँ.
दर्द हृदय का हमदर्द
बना, हमदर्द बना.
जग का छुटा संग
अपना बना, अपना बना.
शांत हुआ मन मेरा अब
स्थिर मेरा जहाँ, मेरा जहाँ
तन का प्रेम जो सिमटा
मन का विस्तार हुआ, विस्तार हुआ
भ्रम टूटे कई जो
सत्य स्वीकार हुआ, स्वीकार हुआ
हृदय गति मद्धम हुई, अंतर्मन
का चितकार हुआ, चितकार हुआ.
डोल उठी वासनाएं सारी, द्वंद
और हाहाकार हुआ, हाहाकार हुआ
भंग हो रहे हैं मोह सारे, यह
नया चमत्कार हुआ, चमत्कार हुआ
अब मैं ब्रह्म हूँ, ब्रह्म में मैं
वाह! क्या अविष्कार हुआ, अविष्कार हुआ
जब मैं चला, मैं चला
मुझे लगा सब हैं
यहाँ, सब हैं यहाँ.
एक एक कर जब टूटे रिस्ते
तब लगा मैं कहाँ, मैं कहाँ.
कहने को सब अपने हैं
पर अपने हैं कहाँ, हैं कहाँ.
ढूंढा बहुत मैं यहाँ,
मैं वहां, जाने कहाँ, जाने कहाँ.
सब मिले फिर, जो ना मिला
वो रिस्ता कहाँ, वो रिस्ता कहाँ
जब मैं देखा, वो कहाँ
और मैं कहाँ, मैं कहाँ.
वो रहे जमीं और
मैं आसमान, मैं आसमान.
अब मेरे संग मेरे खुदा
जो छुटा, ये जहाँ, वो जहाँ.
दर्द हृदय का हमदर्द
बना, हमदर्द बना.
जग का छुटा संग
अपना बना, अपना बना.
शांत हुआ मन मेरा अब
स्थिर मेरा जहाँ, मेरा जहाँ
तन का प्रेम जो सिमटा
मन का विस्तार हुआ, विस्तार हुआ
भ्रम टूटे कई जो
सत्य स्वीकार हुआ, स्वीकार हुआ
हृदय गति मद्धम हुई, अंतर्मन
का चितकार हुआ, चितकार हुआ.
डोल उठी वासनाएं सारी, द्वंद
और हाहाकार हुआ, हाहाकार हुआ
भंग हो रहे हैं मोह सारे, यह
नया चमत्कार हुआ, चमत्कार हुआ
अब मैं ब्रह्म हूँ, ब्रह्म में मैं
वाह! क्या अविष्कार हुआ, अविष्कार हुआ
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