Monday, February 06, 2012

आज फिर दिल परेशान हैं

आज फिर दिल परेशान हैं 
आज फिर आधी सी जान हैं
आज फिर कुछ ख्याल आया
आज फिर  उनका ध्यान हैं

आज फिर जख्म रिस गए
आज फिर अरमान पीस गए
आज फिर बंधनों के दायरे में
कुछ सपने घिस गए

आज फिर शाम आई हैं
आज फिर शाम का इंतज़ार हैं
आज फिर मैं कुछ भूल गया
आज फिर हुआ, जो होता बार-बार हैं

1 comment:

Anil Kumar said...

darrd jhalak raha hai sirji..kisse dilagi kar baithe?

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