आज फिर दिल परेशान हैं
आज फिर आधी सी जान हैं
आज फिर कुछ ख्याल आया
आज फिर उनका ध्यान हैं
आज फिर जख्म रिस गए
आज फिर अरमान पीस गए
आज फिर बंधनों के दायरे में
कुछ सपने घिस गए
आज फिर शाम आई हैं
आज फिर शाम का इंतज़ार हैं
आज फिर मैं कुछ भूल गया
आज फिर कुछ ख्याल आया
आज फिर उनका ध्यान हैं
आज फिर जख्म रिस गए
आज फिर अरमान पीस गए
आज फिर बंधनों के दायरे में
कुछ सपने घिस गए
आज फिर शाम आई हैं
आज फिर शाम का इंतज़ार हैं
आज फिर मैं कुछ भूल गया
आज फिर हुआ, जो होता बार-बार हैं
1 comment:
darrd jhalak raha hai sirji..kisse dilagi kar baithe?
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