एक मुकम्मल जहाँ की तलाश अधूरी हैं
हर एक बूंद हो के भी नहीं पूरी हैं|
एक-एक कदम तनहा हैं यहाँ
आशियाँ तो हैं मगर पनाह हैं कहाँ|
गिरे जो हम सपनों की खाई में
कह न सके एक शब्द अपनी सफाई में|
अब तो हम हैं, ये सपने हैं और बची-खुची
ये जिंदगी हकीकत की परछाई में|
हर एक बूंद हो के भी नहीं पूरी हैं|
एक-एक कदम तनहा हैं यहाँ
आशियाँ तो हैं मगर पनाह हैं कहाँ|
गिरे जो हम सपनों की खाई में
कह न सके एक शब्द अपनी सफाई में|
अब तो हम हैं, ये सपने हैं और बची-खुची
ये जिंदगी हकीकत की परछाई में|
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