Thursday, December 02, 2010

तेरे इंतज़ार को ख़त्म कर ना सका

तेरे इंतज़ार को ख़त्म कर ना सका,
मैं कभी इश्क कर न सका |
सपनों में हकीकत भर न सका,
मैं कभी इश्क कर न सका |
किसी की आँखों में डूब के मर न सका,
मैं कभी इश्क कर न सका |
उस एहसास में तैर के तर न सका,
मैं कभी इश्क कर न सका |

2 comments:

SAKET SHARMA said...

जिसका कोई नहीं होता उसका खुदा है यारो..हा हा हा ..दिल पे मत लेना मजाक कर रहा था..

Amit Chandra said...

सर जी आपने तो इश्क कर लिया पर ‘शायद वो आपके इश्क को नहीं समझ सकी।

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