संग जीवन-धार के
तैर उस पार रे
तू तेरा पतवार रे
क्यूँ बैठा हार के
राजा, रंक या साहूकार रे
मरना एक बार रे
क्यूँ किनारे बैठ मरता बार-बार रे
यह लड़ाई तेरी लड़ आर-पार रे
तैर उस पार रे
तू तेरा पतवार रे
क्यूँ बैठा हार के
राजा, रंक या साहूकार रे
मरना एक बार रे
क्यूँ किनारे बैठ मरता बार-बार रे
यह लड़ाई तेरी लड़ आर-पार रे