गगन चुम्बी इमारतों के बीच से
जाती हुई एक सड़क पे
गाड़ियों की क़तर में
मैं बैठा किसी किनारे
देख रहा हूँ उन गाड़ियों में
बैठे लोगों को
शायद पहचानू किसी को|
नजरे मिलती हैं एक खालीपन से|
इस भीड़ में चलते हुई हम सब
अजनबी है|
2 comments:
आपकी काफी रचनाये पढ़ी.सब इक से इक बढकर है.
bahut bahut dhanybad jo aap aayi aur humare blog ko padhi :)
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