शब्दों का ताना-बाना
ख्वाबों ने कई बार बुना
मन के कैनवास पर
भावों ने कई रंग चुना
जागती हुई कहानियों ने
कई बार करबटें बदली
उनमें से किरदारों ने झाँका
जैसे दुल्हन कोई नई नवेली
कुछ अरमानों ने पँख फैलाए
बातों ने ली अंगड़ाई
आँखें मलता हुआ जगा सवेरा
और जागी उम्मीदें खोई-खोई
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