जाने किस तरफ मुड़ी हैं जिंदगी
की चलते हुए भी खड़ी हैं जिंदगी
दरमियाँ घटा हैं कहीं,
और कहीं फासलों की हैं जिंदगी
की चलते हुए भी खड़ी हैं जिंदगी
दरमियाँ घटा हैं कहीं,
और कहीं फासलों की हैं जिंदगी
कभी रगों के लहू से टपकी, तो कभी बदन के पसीने से। कभी थरथराते होटों से, तो कभी धधकते सीने से। टपकी है हर बार, आजादी, यहाँ घुट-घुट के जीने स...
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