कोई भुला आज याद आ रहा हैं
दिल थम-थम के डूबा जा रहा हैं
वो कौन सा सिरा हैं ऊन नज़रों का
जो रह-रह के चुभा जा रहा हैं
कोई भुला आज याद आ रहा हैं
दर्द नहीं, फिरभी मन दुःखा जा रहा हैं
सपनों का कौन सा परिंदा,
पिंजड़ा तोड़ उड़ा जा रहा हैं
कोई भुला आज याद आ रहा हैं
दिल थम-थम के डूबा जा रहा हैं
वो कौन सा सिरा हैं ऊन नज़रों का
जो रह-रह के चुभा जा रहा हैं
कोई भुला आज याद आ रहा हैं
दर्द नहीं, फिरभी मन दुःखा जा रहा हैं
सपनों का कौन सा परिंदा,
पिंजड़ा तोड़ उड़ा जा रहा हैं
कोई भुला आज याद आ रहा हैं
No comments:
Post a Comment