Saturday, March 14, 2015

हमने ख़ुदा से जो ख़ुदाई माँगली

हमने ख़ुदा से जो ख़ुदाई माँगली,
जिंदगी के बदले, जैसे तन्हाई माँगली।
अब तो साँसे भी चलती हैं रुक रुक के
एक गुस्ताख़ी की, ख़ुदा, क्या भरपाई माँगली।

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