Sunday, October 12, 2014

दिल में जो दस्तक तेरा 

दिल में जो दस्तक तेरा

वो हैं मेहबूब मेरा 

हाथ उठा के क्या करूँ इबादत 

और सर झुका के क्या सजदा 

जब मुझे में तू हैं, तुझमें मैं

फिर बंदा कौन, कौन हैं ख़ुदा 

No comments:

कभी रगों के लहू से टपकी

कभी रगों के लहू से टपकी, तो कभी बदन के पसीने से। कभी थरथराते होटों से, तो कभी धधकते सीने से।  टपकी है हर बार, आजादी, यहाँ घुट-घुट के जीने स...