पल का क्या
हैं
गुज़र ही जायेगा
एक कल (yesterday) चला गया
दूसरा कल आएगा
यादों के तकिये
पे
सपनों के बिस्तर
पर
तनहा दिल आया
था
कभी रगों के लहू से टपकी, तो कभी बदन के पसीने से। कभी थरथराते होटों से, तो कभी धधकते सीने से। टपकी है हर बार, आजादी, यहाँ घुट-घुट के जीने स...
No comments:
Post a Comment