Tuesday, May 05, 2015

मेरे जीवन का आधार तुम

मेरे जीवन का आधार तुम
मेरे कल-आज-कल का व्यापार तुम
मेरी बोली की झंकार तुम
मेरी बेचैनी की अश्रुधार तुम
मेरे हृदय का प्यार तुम
मेरे जीत का श्रृंगार तुम
मेरे ममत्व का दुलार तुम
मेरे क्रोध का ज्वार तुम
मेरी तृष्णा की पुकार तुम
मेरे समर का ललकार तुम
मेरी साधना की ॐकार तुम

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कभी रगों के लहू से टपकी, तो कभी बदन के पसीने से। कभी थरथराते होटों से, तो कभी धधकते सीने से।  टपकी है हर बार, आजादी, यहाँ घुट-घुट के जीने स...