Thursday, April 21, 2011

संग जीवन-धार के, तैर उस पार रे

संग जीवन-धार के
तैर उस पार रे
तू तेरा पतवार रे
क्यूँ बैठा हार के
राजा, रंक या साहूकार रे
मरना एक बार रे
क्यूँ किनारे बैठ मरता बार-बार रे
यह लड़ाई तेरी लड़ आर-पार रे

मिले हैं दिन चार रे

मिले हैं दिन चार रे
क्यूँ करता तकरार रे
जीवन को मार के
जी रहे हार के
कुछ लम्हे ये उधार के

प्रेम जीवन-आधार रे
प्रेम जीवन-सार रे
प्रेम सूरज-चाँद-तार रे
प्रेम में हार के
कुछ लम्हे ये उधार के

दो बोल, प्यार के
बोल दो प्यार से
बन प्रेम-कुसुम, प्रेम-हार के
जी लो,
कुछ लम्हें ये उधार के
 

Wednesday, April 13, 2011

मंद मंद बहती बयार, अब आंधी बन चली

मंद मंद बहती बयार
अब आंधी बन चली
बन्धनों को कर तार-तार
अब क्रांति बह चली

खोल दो प्रहरी ये द्वार
जन-क्रांति बह चली
ख़त्म होने को भ्रष्टाचार
विश्व-शांति कह चली

ये खेल होगा अब आर-पार
जन-भ्रान्ति हट चली
जन-क्रोध का चढ़ता पारावार
भांति-भांति बढ़ चली

बदलाव के चक्र का प्रहार
अब अंधी बन चली
मिट जायेगा दुराचार
ईश्वर से संधि मन चली

Saturday, March 26, 2011

हैं बसेरा छोटा यहाँ, खत्म होने को समां रे

हैं बसेरा छोटा यहाँ, खत्म होने को समां रे
फिर क्यूँ करता पंछी, तू तिनका जमा रे?
आगे नीला, स्वछंद, खुला आसमां रे
क्यूँ वक़्त जाया कर तिनका जमा रे?

आजाद हैं तू, कर आजादी बयां रे
पल भर का सराया, नहीं तेरा जहाँ रे
तू उड़ने के काबिल, फिर क्यूँ फंसा यहाँ रे?
क्यूँ वक़्त जाया कर तिनका जमा रे?

देख नयन खोल तेरा कौन यहाँ रे
मतलब के लोग, मतलब का जहां रे
खोजता जिस प्रीत को नहीं वो यहाँ रे
क्यूँ वक़्त जाया कर तिनका जमा रे?


Tuesday, March 01, 2011

लम्हा-लम्हा टपक गया

लम्हा-लम्हा टपक गया
यादों के बादल से
गीली हो गई मन की मिट्टी
बातों के दल-दल से
फिसल रहे हैं दिल के कदम
बीते रातों के कल-कल से

Monday, February 28, 2011

हतास भी नहीं थे, निराश भी नहीं थे

हतास भी नहीं थे 
निराश भी नहीं थे
लेकिन जिंदगी के
पास भी नहीं थे  

तृप्त भी नहीं थे
प्यास भी नहीं थे
सपने कुछ
खास भी नहीं थे

आजाद भी नहीं थे
दास भी नहीं थे
अनोखे आश भी नहीं थे

गम भी नहीं थे 
हास भी नहीं थे
क्योकि तुम पास नहीं थे |

Saturday, January 22, 2011

जिंदगी के कुछ पल, बीत गये इस इंतज़ार में

जिंदगी के कुछ पल
बीत गये इस इंतज़ार में
कि कब तुम आओगे,
कि कब तुम आओगे |


कभी सोचा ना था कि
रहूंगी इतना बेक़रार मैं
कि कब तुम आओगे,
कि कब तुम आओगे |

दिल लगता नहीं अपना
अब इस संसार में
कि कब तुम आओगे,
कि कब तुम आओगे |

गहरी नदी हैं सामने,
मैं खड़ा इस पार में
कि कब तुम आओगे,
कि कब तुम आओगे |



तेरी बाते, जो याद आई

तेरी बाते
जो याद आई
तेरी बाते
कुछ अनकाही
तेरी  बाते
भूली हुई बाते
मैंने कभी कही
तेरी बाते
ये बाते
कैसी बाते
तेरी बाते
गूंजी बाते
तेरी बाते

मैं जिस सवेरा को खोजता

मैं जिस सवेरा को खोजता

रहा हर अँधेरे में कहाँ-कहाँ

मालूम ना था कि वो

मिलेगा तुमसे मिलके यहाँ |

वो उड़ते लहराते हुए आसमां

के नीचे इठलाता हुआ बादल,

उसी मस्ती में झूमकर उठता

हुआ एक मस्तमौला नया कल,

के आँगन में मासूम से एक किनारे,

ठिठोली करता हुआ मासूम सा पल |

Saturday, January 01, 2011

हर दिन नया, हर पल नया

हर दिन नया, हर पल नया 

हर सुबह, शाम और कल नया 


हर सोच नया, हर खोज नया 


हर कदम, हर रोज़ नया 

कभी रगों के लहू से टपकी

कभी रगों के लहू से टपकी, तो कभी बदन के पसीने से। कभी थरथराते होटों से, तो कभी धधकते सीने से।  टपकी है हर बार, आजादी, यहाँ घुट-घुट के जीने स...