ख़ुदा, जो कहीं तुमने जन्नत बनाई होगी,
वो पहाड़ो से झाकती हुई तराई होगी।
खोज़ सके तो खोज़ ले दुनिया
कही और नहीं बस यहीं तेरी खुदाई होगी।
कभी रगों के लहू से टपकी, तो कभी बदन के पसीने से। कभी थरथराते होटों से, तो कभी धधकते सीने से। टपकी है हर बार, आजादी, यहाँ घुट-घुट के जीने स...