झूम के चलूँ मैं,
ऊपर आसमान से
इठला के कहूँ मैं,
क्या आजादी तुम्हें,
मिली हैं मुझ जैसी?
हजारों ख्वाहिशें ऐसी,
जाने कैसी, जाने कैसी |
भँवरा जो भ्रमण
करता कुसुम का,
पान करता रस
बन मासूम सा,
बन जाऊँ वो भ्रमर
मैं, हैं इक्छा ऐसी|
हजारों ख्वाहिशें ऐसी,
जाने कैसी, जाने कैसी |
बदली जो घिरती सावन
में, गाती राग मलार,
तृप्त हो गई धरती मानों,
ग्रीष्म की मनाए हार |
मुकुट-विजयी पहना के,
नाचूँ धरा संग, बन रूपसि |
हजारों ख्वाहिशें ऐसी,
जाने कैसी, जाने कैसी |
करता कुसुम का,
पान करता रस
बन मासूम सा,
बन जाऊँ वो भ्रमर
मैं, हैं इक्छा ऐसी|
हजारों ख्वाहिशें ऐसी,
जाने कैसी, जाने कैसी |
बदली जो घिरती सावन
में, गाती राग मलार,
तृप्त हो गई धरती मानों,
ग्रीष्म की मनाए हार |
मुकुट-विजयी पहना के,
नाचूँ धरा संग, बन रूपसि |
हजारों ख्वाहिशें ऐसी,
जाने कैसी, जाने कैसी |
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