ये शब्द ही मुझे अहसास दिलाते कि मैं हूँ
मुझे समझाते हैं, फुसलाते हैं कि मैं कहूँ |
अक्सर भावहीन रहती हैं मेरी कहानी
होठ चुप ही रहते, मैं कहता कलम की जुबानी |
मेरे सोच को लगा रहता हर वक्त एक खोज,
बुनता रहता नित नए ख्वाब हर रोज |
और हर ढ़लती शाम के साथ खो जाता
जाने कहाँ, किस आसमान में सो जाता |
हर उगते दिन के साथ वो भी जागता
फिर नए जोश और रफ़्तार में भागता |
यही छोटी सी बात थी बतानी
शब्दों का जोड़ यहाँ, कहते मेरी कहानी |
मुझे समझाते हैं, फुसलाते हैं कि मैं कहूँ |
अक्सर भावहीन रहती हैं मेरी कहानी
होठ चुप ही रहते, मैं कहता कलम की जुबानी |
मेरे सोच को लगा रहता हर वक्त एक खोज,
बुनता रहता नित नए ख्वाब हर रोज |
और हर ढ़लती शाम के साथ खो जाता
जाने कहाँ, किस आसमान में सो जाता |
हर उगते दिन के साथ वो भी जागता
फिर नए जोश और रफ़्तार में भागता |
यही छोटी सी बात थी बतानी
शब्दों का जोड़ यहाँ, कहते मेरी कहानी |
1 comment:
Bahut hi acchi kavita....
Also Visit-
www.manaskhatri.wordpress.com
MANAS KHATRI
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