Monday, June 14, 2010

जिंदगी एक खोज हैं अपनी तरह की

जिंदगी एक खोज हैं अपनी तरह की,
अनजाने रास्तों और बेगाने मंजिल की|
दे एक खाली कापी, एक स्याही-दवात
सौप दिया हमें किस्मत के हाथ| 
खुद ही लिख लो अपनी-अपनी कहानी 
अपने शब्द, अपना अर्थ, अपनी जुबानी| 


कुछ खड़े रह गए खोये-खोये से, 
कुछ लिख गए शब्द जागे-सोये से| 
कुछ नया लिखने को उत्प्रेरित हुए, 
और कुछ साहसिक लेखक उद्घोषित हुए| 


हूँ खड़ा कहाँ मैं, 
लगा हूँ यह जाने में| 
एक नहीं मैं, शायद, सब हूँ| 
हैं इंतज़ार रब की सुनू, 
जो रहता मेरे अन्दर हैं 
और कहता बहुत धीरे हैं, 
कि इस जिंदगी के खोज का 
अंत कहाँ और कहाँ सिरे हैं| 

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