मैं फैला दूँ शितलता,
निकाल द्वेष ह्रदय से,
मैं भर सकूँ निर्मलता
हे नाथ, क्या यह
लगती मुमकिन सी?
हजारों ख्वाहिशें ऐसी,
जाने कैसी, जाने कैसी|
जाने कैसी, जाने कैसी|
प्रेम करना
इतना मुश्किल,
जल रहा
सबका दिल,
बन सावन फुहार
मैं बरसू झड़ी सी |
हजारों ख्वाहिशें ऐसी,
जाने कैसी, जाने कैसी|
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