Saturday, June 19, 2010

जिंदगी बीत जाये रूठे को मनाने में

जिंदगी बीत जाये रूठे को मनाने में
कहीं देखा हैं ऐसा प्यार ज़माने में ?
हम तो नहीं यकीन करते जताने में,
कि क्या रखा हैं प्यार बताने में |


हम सिरफिरे, विश्वास करते कर जाने में,
तैर के जाने में या फिर डूब के मर जाने में |
हौसला बुलंदी चढ़ा हमारा, इश्क के पैमाने में,
मजा ही क्या जो ना टपका छलक जाने में |

2 comments:

कडुवासच said...

... बेहतरीन!!!

Anamikaghatak said...

sahii kahaa apne मजा ही क्या जो ना टपका छलक जाने में ..........achchha lagaa padhkar

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